शबीहे रसूल हज़रत अली अकबर अलैहिस्सलाम

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 सैय्यद मौहम्मद मीसम नक़वी



नाम व उपनाम


आपका नामे नामी अली इब्ने हुसैन था। आपका लक़ब अकबर था।
 

माता पिता

हज़रत अली अकबर अलैहिस्सलाम के पिता हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम व आपकी माता  हज़रते लैला बिन्ते अबीमुर्रा बिन उरवा बिन मसऊदे सक़फी थी।

जन्म तिथि व जन्म स्थान
 

हज़रत अली अकबर अलैहिस्सलाम की जन्म तिथि के बारे मे कोई खास सबूत नही  मिलते लेकिन कहा जाता है की आप 11 शाबान सन् 33 हिजरी मे शहरे मदीना मे  दुनिया मे आऐ ।
 

मुशाबेहते रसूले अकरम 


रिवायात मे आया है कि आप किरदार, गुफ्तार और तमाम सिफात मे रसुले अकरम स.अ.व.व. से बेइन्तेहा मुशाबेहत रखते थे ।


सफरे करबला मे आपका एक क़ौल

एक मरतबा करबला के रास्ते मे इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ख्वाब से बेदार हुए तो आपने इन्ना लिल्लाहे व इन्ना इलैहे राजेऊन पढ़ा ये देख कर जनाबे अली अकबर अ. स. ने इसकी वजह पूछी तो इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने जवाब दिया कि अभी मैने ख्वाब मे देखा है कि कोई कह रहा है कि ये क़ाफिला मौत की तरफ जा रहा है तो जनाबे अली अकबर अलैहिस्सलाम ने सवाल किया कि ऐ बाबा क्या हम हक़ पर नही हैं तो इमाम ने जवाब दियाः क्यु नही बेटा ।
ये सुनकर जनाबे अली अकबर अ.स. ने फरमाया कि जब हम हक़ पर है तो राहे खुदा मे मरने मे कोई खोफ नही।


 पहला शहीद

मक़ातील मे मिलता है कि बनीहाशिम मे सब से पहले मैदाने जंग मे जाने वाले जनाबे अली अकबर अलैहिस्सलाम थे।


शहादत


आप करबला के मैदान मे 10 मौहर्रम सन् 61  हिजरी मे दीने हक़ और अपने वालीद का दिफा करते  हुऐ दरजाए शहादत पर फाएज़ हुऐ।

 

समाधि

हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम की एक रिवायत के मुताबिक़ जनाबे अली अकबर अलैहिस्सलाम को करबला मे इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के क़दमो की तरफ दफ्न किया गया है।

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