अनुवादकः मौलाना अबरार अली जाफरी मंचरी
इस्लाम और सेक्स
और (देखो) बलात्कारी के पास भी न फटकना। क्योंकि बेशक वह बड़ी बेशर्मी का काम है और बहुत बुरा चलन है।
एक और आशूरा
फिर मुहर्रम
एक बार फिर मुहर्रम और आशूरा आने वाला है। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत (बलिदान) से लेकर आज तक हज़ार से ज़्यादा बार आशूरा आ चुका है और हर बार मकतबे आशूरा की नई तालिमात बयान और आपके मानने वालों के सामने पेश की जाती हैं और इस तरह यह इंकेलाब (क्राँति) आज तक ज़िन्दा है और इस की चमक से आँखें चकाचौन्ध हैं। तमाम क़ौमें इस दिन में शहीद होनी वाली शख़्सीयत के सामने अपने सरों को झुकाती हैं और इस मकतब के मानने वाले अपनी दुनिया व आख़िरत के लिये ज़ादे राह (मार्ग व्यय) इकठ्ठा करते हैं।
इस्लाम और सेक्स (पार्ट-2)
लेखकः डा. मोहम्मद तक़ी अली आबदी
पासबान-ए-ख़त्ते इमाम र.अ
सैय्यद जवाद नकवी
तिब्बे मासूमीन अलैहिस्सलाम
· बुख़ारः- सेब खाओ कि बदन की हरारत को आराम पहुँचाता है। अन्दरूनी गर्मी को ठन्डा करता है और बुखार को खत्म करता है।
· अगर लोग सेब के फ़ायदे को जानते तो अपने मरीज़ों का इलाज हमेशा सेब से करते। (इमाम सादिक़ अ0)