फातेमा ज़हरा (स.अ) की फ़ज़ीलत और इनके मदारिज के सिलसिले में क़ुरान मजीद की आएतें और बेशुमार हदीसें मौजूद हैं इस वक़्त चन्द अहादीस और पैग़म्बरे इस्लाम के बाज़ तरज़े अमल पर इक़तेफ़ा करता हूं। आपका इरशाद है कि फातेमा जन्नत में जाने वाली औरतों की सरदार हैं।
तमाम जहान की औरतों की सरदार हैं। आपकी रज़ा से अल्लाह राज़ी होता है जिसने आपको तकलीफ़ दी उसने रसूल (स.अ) को तकलीफ़ पहुंचाई।
ख़ुदा ने आपकी बदौलत आपके मानने वालों को जहन्नम से छुड़वा दिया।
आप फ़रमाते हैं कि मर्दों में बहुत लोग कामिल गुज़रे हैं लेकिन औरतों में सिर्फ़ चार औरतें कामिल गुज़री हैं। 1.मरयम , 2. आसीया 3. ख़दीजा 4. फातेमा और इन में सब से बड़ा दर्जा ए कमाल फातेमा को हासिल है।
उलमा का बयान है कि हज़रत पैग़म्बरे इस्लाम (स.अ.व.व) आप से इन्तेहाई मोहब्बत रखते थे और कमाल इज़्ज़त भी करते थे।
मोहब्बत के मुज़ाहिरों में से एक यह था कि जब किसी ग़ज़वे में तशरीफ़ ले जाते थे तो सब से आख़िर में फातेमा स. से रूख़सत होते थे और जब वापिस आते थे तो सब से पहले फातेमा ज़हरा स. को देखने तशरीफ़ ले जाते थे और इज़्ज़तो एहतिराम का मुज़ाहेरा यह था कि जब हज़रत फातेमा आती थीं तो आप ताज़ीम को खड़े हो जाते थे और अपनी जगह पर बिठाते थे।
(तिरमिज़ी जिल्द 2 पृष्ठ 249 मुद्रित मिस्र)
(मतालिब सुऊल पृष्ठ 22 मुद्रित लखनऊ)
मुख़तलिफ़ कुतुब सहा में मौजूद है कि आं हज़रत (स अ व व) ने फ़रमाया , फातेमा मेरा जुज़ है जो उसे तकलीफ़ पहुंचाएगा वह मुझे तकलीफ़ पहुंचाएगा।
मुवर्रेख़ीन और मुहद्देसीन का इत्तेफ़ाक़ है कि नुज़ूल आया ए ततहीर के बाद सरवरे दो आलम दरे फातेमा से पर 9 माह लगातार बवक़्ते नमाज़े सुबह जाकर आवाज़ दिया करते और फ़रते मसर्रत में फ़रमाया करते थे कि ख़ुदा ने तुम्हें हर तरह की गन्दगी से पाको पाकीज़ा किया है।
(ज़ाद उल उक़बा तरजुमा मुवद्दतुल क़ुरबा मुवद्दत 11 पृष्ठ 100)
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