सूरए यूसुफ़ में अल्लाह हज़रत याक़ूब अ.स. के बारे में फ़रमाता है कि वह हमेशा हज़रत यूसुफ़ के बिछड़ने पर रोते रहते थे यहां तक कि आप हज़रत यूसुफ़ के लिए इतना रोए कि आपकी आंखों की रौशनी चली गई। अहले सुन्नत के बड़े आलिम जलालुद्दीन सियूती अपनी मशहूर तफ़सीर दुर्रुल मनसूर में लिखते हैं कि हज़रत याक़ूब अ.स. ने अपने बेटे हज़रत यूसुफ़ अ.स. के बिछड़ने के ग़म में 80 साल आंसू बहाए और उनकी आंखों की रौशनी चली गई।
चेहलुम, इमाम हुसैन की ज़ियारत पर न जाने का अज़ाब
लेखक: सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी
20 सफ़र करबला के शहीदो का चेहलुम
20 सफर सन् 61 हिजरी कमरी, वह दिन है जिस दिन हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफादार साथियों को कर्बला में शहीद हुए चालिस दिन हुआ था।
चेहलुम, इमाम हुसैन अहलैबैत की नज़र में
लेखक: सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी
क़ब्रे इमाम हुसैन की ज़ियारत न करना ज़ुल्म है।
कब्रे हुसैन की ज़ियारत करो और उन पर ज़ुल्म मत करो। वो सैय्यदुश शोहदा और सैय्यदे शबाबे अहले जन्नत है। याहिया बिन ज़करया के जैसे है सिर्फ इन दोनो पर आसमान रोया है।