औलाद के लिऐ क़ुरआनी दुआ

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दुआ # 1 – सुरः बक़रा (2/117) – आयात # 117.

2.117: (वही) आसमान व ज़मीन का मोजिद है और जब किसी काम का करना ठान लेता है तो उसकी निसबत सिर्फ कह देता है कि ''हो जा'' पस वह (खुद ब खुद) हो जाता है.

दुआ # 2 – सुरः हूद (11/123) – आयात # 123

11.123: और सारे आसमान व ज़मीन की पोशीदा बातों का इल्म ख़ास ख़ुदा ही को है और उसी की तरफ हर काम हिर फिर कर लौटता है तुम उसी की इबादत करो और उसी पर भरोसा रखो और जो कुछ तुम लोग करते हो उससे ख़ुदा बेख़बर नहीं.

दुआ # 3 – सुरः अर-रअद (13/16) – आयात # 16.
 13.16: (ऐ रसूल) तुम पूछो कि (आख़िर) आसमान और ज़मीन का परवरदिगार कौन है (ये क्या जवाब देगें) तुम कह दो कि अल्लाह है (ये भी कह दो कि क्या तुमने उसके सिवा दूसरे कारसाज़ बना रखे हैं जो अपने लिए आप न तो नफे पर क़ाबू रखते हैं न ज़रर (नुकसान) पर (ये भी तो) पूछो कि भला (कहीं) अन्धा और ऑंखों वाला बराबर हो सकता है (हरगिज़ नहीं) (या कहीं) अंधेरा और उजाला बराबर हो सकता है (हरगिज़ नहीं) इन लोगों ने ख़ुदा के कुछ शरीक़ ठहरा रखे हैं क्या उन्होनें ख़ुदा ही की सी मख़लूक़ पैदा कर रखी है जिनके सबब मख़लूकात उन पर मुशतबा हो गई है (और उनकी खुदाई के क़ायल हो गए) तुम कह दो कि ख़ुदा ही हर चीज़ का पैदा करने वाला और वही यकता और सिपर (सब पर) ग़ालिब है.

दुआ # 4 – सुरः अर-रूम (30/11) – आयात # 11.

30.11: ख़ुदा ही ने मख़लूकात को पहली बार पैदा किया फिर वही दुबारा (पैदा करेगा) फिर तुम सब लोग उसी की तरफ लौटाए जाओगे.

दुआ # 5 – सुरः अर-रूम (30/26 और 27) – आयात # 26 और 27.

30.26: और जो लोग आसमानों में है सब उसी के है और सब उसी के ताबेए फरमान हैं.
30.27: और वह ऐसा (क़ादिरे मुत्तालिक़ है जो मख़लूकात को पहली बार पैदा करता है फिर दोबारा (क़यामत के दिन) पैदा करेगा और ये उस पर बहुत आसान है और सारे आसमान व जमीन सबसे बालातर उसी की शान है और वही (सब पर) ग़ालिब हिकमत वाला है.

दुआ # 6 – सुरः अल-अनकबूत  (29/19) – आयात # 19.    

29.19: बस क्या उन लोगों ने इस पर ग़ौर नहीं किया कि ख़ुदा किस तरह मख़लूकात को पहले पहल पैदा करता है और फिर उसको दोबारा पैदा करेगा ये तो ख़ुदा के नज़दीक बहुत आसान बात है.

दुआ # 7 – सुरः ताःहाः (20/50) – आयात # 50.

20.50: मूसा ने कहा हमारा परवरदिगार वह है जिसने हर चीज़ को उसके (मुनासिब) सूरत अता फरमाई.

दुआ # 8 – सुरः अल-अंबिया (21/89 – आयात # 89.

21.89: और ज़करिया (को याद करो) जब उन्होंने (मायूस की हालत में) अपने परवरदिगार से दुआ की ऐ मेरे पालने वाले मुझे तन्हा (बे औलाद) न छोड़ और तू तो सब वारिसों से बेहतर है.

दुआ # 9 – सुरः अस-साफफात 37/100) – आयात # 100.

37.100: वह अनक़रीब ही मुझे रूबरा कर देगा (फिर ग़रज की) परवरदिगार मुझे एक नेको कार (फरज़न्द) इनायत फरमा.

 

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