क़ुरआने मजीद में जर्य और इंतेबाक़

अन्य क़ुरआनी लेख
Typography
  • Smaller Small Medium Big Bigger
  • Default Helvetica Segoe Georgia Times

इस बात के पेशे नज़र कि क़ुरआने मजीद एक ऐसी किताब है जो सब के लिये और हमेशा बाक़ी रहने वाली है और उस की छुपी हुई बातें भी ज़ाहिर बातों की तरह जारी हैं और मुस्तक़बिल और माज़ी के साथ भी ज़मान ए हाल की तरह से हैं। जैसे एक किताब की आयतें जो नाज़िल होने के ज़माने में मुसलमानों के लिये फ़रायज़ मुअय्यन करती हैं, नाज़िल होने के बाद उन मोमिनों के लिये जो पहले मोमिनों जैसी शर्तें रखते हों, किसी कमी ज़ियादती के बिना फ़रायज़ को मुअय्यन करती हैं। ऐसी आयतें जो मुख़्तलिफ़ सिफ़त रखने वाले लोगों की तारीफ़ या उन की बुराई करती हैं या उन को ख़ुशखबरी सुनाती या ख़ुदा वंद से डराती हैं। जो लोग मुस्तक़बिल या हर ज़माने में वही सिफ़ात रखते हों और जहाँ कहीं भी हों, वह उन ही आयतों की लिस्ट में आते हैं।

लिहाज़ा एक आयत का नाज़िल होना उसी आयत से मख़सूस नही होगा यानी जो आयत एक ख़ास शख़्स या फ़र्द के बारे में नाज़िल हुई है वह अपने नाज़िल होने के बारे में सीमित नही है बल्कि उन्ही ख़ुसूसियात और सिफ़ात में शामिल होगीं जो किसी शख़्स या फ़र्द के बारे में आयेगीं वह आयत उन के अनुसार भी होगी और यह ख़ुसूसियात वही हैं जिन के रिवायात के लिहाज़ से जर्य (जारी होना) कहा जाता है।

पाँचवेँ इमाम, इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ) एक रिवायत में फ़रमाते हैं कि अगर ऐसा हो कि एक आयत जब एक क़ौम के बारे में नाज़िल हुई है और क़ौम मर गई है तो उस आयत का मफ़हूम भी ख़त्म हो जायेगा तो क़ुरआन में कोई चीज़ बाक़ी नही रहेगी लेकिन क़ुरआन तो जब तक आसमान और ज़मीन बाक़ी हैं जारी है और रहेगा। लिहाज़ा हर क़ौम के लिये एक आयत है जो उस को पढ़ती है उस से अच्छा और बुरा फ़ायदा उठाती है।

कुछ दूसरी हदीसों में क़ुरआने मजीद के बातिन यानी क़ुरआने मजीद के इंतेबाक़ को भी जो वज़ाहत (तफ़सीर) के ज़रिये पैदा होता है जर्य में शामिल किया जाता है।

 

Comments powered by CComment