इमामे अली अ.स. का नाम क़ुर्आन में क्यों नहीं है?
इस सवाल के कई जवाब दिए जा सकते हैं।
इमामे अली अ.स. का नाम क़ुर्आन में क्यों नहीं है?
इस सवाल के कई जवाब दिए जा सकते हैं।
1. क़ुर्आन ने हर चीज़ का उल्लेख किया है लेकिन हर चीज़ को विस्तार से बयान नहीं किया, क्योंकि...
हर चीज़ का विस्तार से विवरण करने का मतलब क़ुर्आन के पेज की तादाद अधिक हो जाती, और क़ुर्आन भी बहुत सी दूसरी किताबों की तरह केवल अलमारी में सजा रहता।
2. हज़रत अली अ.स. से घृणा और नफ़रत करने वाले लोग बहुत अधिक थे, अगर आप का नाम क़ुर्आन में ज़िक्र हो जाता तो यह लोग क़ुर्आन में कांट-छांट कर देते, और इमामे अली अ.स. का नाम क़ुर्आन से मिटा देते, क्योंकि अल्लाह ने यही चाहा कि क़ुर्आन में किसी प्रकार की कांट-छांट न हो इसलिए आप का नाम स्पष्ट रूप से ज़िक्र नहीं किया।
3. यह बात सही है कि इमामे अली अ.स. का नाम स्पष्ट रूप से नहीं आया लेकिन लगभग 200 आयतें आप के बारे में नाज़िल हुईं हैं।
4. हज़रत अली अ.स. की विलायत लोगों के आज़माने का वसीला है, और इस का ज़िक्र क़ुर्आन में सूरा ए अनकबूत की पहली आयत ही में भी है, अल्लाह फ़रमाता है कि, क्या लोग यह सोंचते हैं कि केवल यह कहने से कि वह ईमान ले आए है उन्हे छोड़ दिया जाएगा और उनको आज़माया नहीं जाएगा?
शिया - सुन्नी उल्मा और मुफ़स्सिरों के अक़वाल के हिसाब से यहाँ पर इमामे अली अ.स. की विलायत मुराद है, जिस के वसीले से सब को आज़माया जाएगा। हक़ीक़त यह है कि, इमाम अली अ.स. का नाम इशारों में ज़िक्र हुआ है, और अरबी ज़बान में एक मुहावरा है कि, इशारों में किसी मतलब का बयान करना साफ़ शब्दों में बयान करने से बेहतर है।
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