रतनसेन तीन हिजरी का हिन्दुस्तानी मुसलमान
- लेखक:मौलाना पैग़म्बर अब्बास नौगाँवी
तारीखदानो ने हिन्दुस्तान मे इस्लाम की आमद हज्जाज बिन युसुफ के नौजवान कमांडर मौहम्मद बिन क़ासिम से मंसूब की है और ये ऐसी ज़हनीयत का नतीजा है कि जो इस्लाम को तलवार के फलता फूलता मानती है यहाँ भी यही जाहिर किया गया है कि मौहम्मद बिन कासिम ने हिन्दुस्तान पर हमला किया जिसके नतीजे मे हिन्दुस्तान मे इस्लाम की शूरूआत हुई।
फ़िलिस्तीन की असली कहानी क्या है? ... आयतुल्लाह ख़ामेनई की ज़बानी
फ़िलिस्तीन की असली कहानी यह है कि दुनिया में यहूदियों का एक प्रभावशाली गिरोह, यहूदियों के लिए एक स्थायी देश के निमार्ण की आधारशिला रखने और नींव डालने की सोच में था। उनकी इस सोच से ब्रिटेन ने अपनी मुश्किल हल करने के लिए फ़ायदा उठाया। अगरचे यहूदी पहले युगांडा जाने और उस को अपना देश बनाने की सोच में थे। कुछ समय लीबिया के शहर त्रिपोली जाने की फ़िक्र में रहे।
करबला मे इमाम हुसैन अ.स. का पहला खुतबा
- लेखक: सैय्यद इब्ने ताऊस
इमाम हुसैन (अ.स) की शहादत मे हज़रत उमर का किरदार
अनुवादकः सैय्यद मौहम्मद मीसम नक़वी
इमाम हुसैन (अ.स) की शहादत मे उमर का किरदार का अंदाजा हमे इन बातो से होता है कि कितनी हैरत की बात है कि उमर जो अपने गवर्नरो से बहुत ज़्यादा सख्ती से पेश आता था। उसने माविया की साफ ग़लतीयो से आँखे चुराई और उन सब बातो के देखते हुऐ कि माविया ने बादशाहत क़ायम कर ली है और हुकुमते इस्लामी के शाम के बड़े इलाक़े मे फितना व फसाद बरपा कर रखा है। उमर ने कभी भी इसकी इस्लाह के लिऐ एक लफ्ज़ भी नही कहा। ये कितने ताज्जुब की बात है।
उमर का खिलाफत के लिऐ छः लोगो की कमेटी बनाना
- लेखकः आयतुल्लाह मकारिम शीराज़ी
- अनुवादकः सैय्यद मौहम्मद मीसम नक़वी