चमत्कार की परिभाषा

अकीदाऐ नबूवत
Typography
  • Smaller Small Medium Big Bigger
  • Default Helvetica Segoe Georgia Times

चमत्कार या मोजिज़ा उस काम को कहते हैं जो असाधारण रुप से र्इश्वर के आदेश से पैगम्बरी का सच्चा दावा करने वाले को सच्चा सिध्द करता हों।

जैसा कि आप ने देखा ही होगा इस परिभाषा के तीन भाग हैः

पहलाः कुछ ऐसी घटनाएं भी होती है जो साधारण प्रचलित कारकों का परिणाम नही होती।

दूसराः इस प्रकार के कुछ असाधारण कार्य, र्इश्वर के इरादे और उस की विशेष अनुमति के बाद पैगम्बरो द्वारा किए जाते हैं।

तीसराः इस प्रकार का असाधारण काम अगर किसी पैगम्बर द्वारा अपनी पैगम्बरी को सिध्द करने के लिए हो तो उसे मोजिज़ा कहा जा सकता है। अब यहॉ पर हम इस संदर्भ में अधिक चर्चा करेगें।


मोजिज़ा या चमत्कार की परिभाषा

मोजिज़ा या चमत्कार उस असाधारण काम को कहते हैं कि जो र्इश्वर के आदेश से पैगम्बरी का दावा करने वाला व्यक्ति करता है ताकि वह काम उस के दावे की सत्यता का प्रमाण हो जाए।

जैसा आप ने देखा कि यह परिभाषा तीन भागों पर आधारित है।

पहलाः कुछ ऐसी असाधारण प्रक्रियाएं भी है जो साधारण व सामान्य कारकों के बल पर नही होतीं।

दूसराः कुछ असाधारण कार्य, र्इश्वर के इरादे और उस की विशेष अनुमति के साथ पैगम्बरों द्वारा किए जाते हैं

तीसरा इस प्रकार के असाधारण कार्य, यदि पैगम्बरो के दावों सही होने का प्रमाण हो सकते हैं तो उस दशा में अब हम इन तीनों की परिभाषा करेंगे।

असाधारण प्रक्रियाएं

इस संसार मे घटने वाली घटनाएं अधिकांश उन कारकों के आधार पर होती हैं कि जिन्हें विभिन्न प्रकार के प्रयोग द्वारा समझा जा सकता है उदाहरण स्वरूप रसायानिक व भौतिक शास्त्र के अधिकांश परिवर्तन किन्तु कभी कभी इन में से कुछ घटनाएं किसी दूसरी शैली में घटती हैं और उनके समस्त कारकों को महसूस करके पहचाना तथा उन के प्रमाणों देखा जा सकता हैं जैसे कि कुछ योगी असाधारण काम करते हैं या विभिन्न ज्ञानों के विशेषज्ञ स्वीकार करते है कि इस प्रकार के काम भौतिक ज्ञान के सिध्दान्तों के आधार पर नही होते। इस प्रकार के कामों और प्रक्रियाओं को असाधारण कहा जाता है।


र्इश्वर के असाधारण कार्य

असाधारण कार्यों को दो भागो में विभाजित किया जा सकता हैःएक काम जो साधारण कारक के आधार पर नही होते किन्तु किसी सीमा तक उस के कारक मनुष्य के अधिकार मे होते हैं और उस काम को विभिन्न प्रकार के अभ्यासों और प्रशिक्षण द्वारा हर एक के लिए करना संभव होता है उदाहरण स्वरूप योगियों के बहुत से असाधारण कार्य किन्तु इस का दूसरा भाग वह असाधारण कार्य हैं जिन का होना र्इश्वर की विशेष अनुमति पर निर्भर करता है और ऐसे काम वह लोग नही कर सकते जिन का र्इश्वर से विशेष संपर्क न हो इस आधार इस प्रकार के असाधारण कामों की दो मूल विशेषताऐ होती हैं पहली तो यह कि यह काम सीखे या सिखाए नही जा सकते और दूसरे उन पर अधिक शक्तिशाली किसी अन्य शक्ति का प्रभाव नही पड़ता और वह किसी अन्य कारक के प्रभाव में नही आते। इस प्रकार के असाधारण कार्य, र्इश्वर के चुने हुए दासों से विशेष हैं और किसी भी स्थिति  में पथभ्रष्ट और पापी लोग ऐसे काम करने से सक्षम नही होते किन्तु इस के बावजूद इस प्रकार के कार्य केवल पैगम्बरों और र्इशवरीय दूतों से ही विशेष नही हैं बल्कि र्इश्वर के अन्य विशेष दास भी इस प्रकार के असाधारण कार्य करने की क्षमता रखते हैं। इस आधार पर इस प्रकार के सभी कार्यों को मोजिज़ा नही कहा जा सकता बल्कि आम तौर पर अगर इस प्रकार के कामों को र्इश्वरीय दूतो के अलावा किसी अन्य ने किया हो तो उसे करामत अर्थात चमत्कार कहा जाता है। इस प्रकार से संबंधित असाधारण विध्या भी केवल पैगम्बरों को प्राप्त होने वाले र्इश्वरीय संदेश निर्भर नही है किंतु र्इश्वर की ओर से जब इस प्रकार की विध्या और ज्ञान पैगम्बरों के अलावा किसी अन्य को प्राप्त होता है तो उसे इल्हाम अर्थात प्रेरणा आदि कहा जाता है।


इसके साथ ही र्इश्वरीय और गैर र्इशवरीय असाधारण कार्यों को पहचानने का मार्ग भी स्पष्ट हो गया अर्थात अगर कोर्इ असाधारण कार्य सीखे और सिखाए जाने योग्य हो या अन्य कर्ता उसे करने या न होने देने में सक्षम हो तो वह र्इश्वरीय असाधारण कार्यों में शामिल नही होगा। जैसे कोर्इ असाधारण कार्य करने वाले भ्रष्ट व पापी व्यक्ति के आचरण के दृष्टिगत भी उस के असाधारण कार्यों के गैर र्इश्वरीय और शैतानी होने को समझा जा सकता है।


यहाँ पर उचित होगा कि एक अन्य विषय की ओर संकेत करें और वह यह हैं कि र्इश्वरीय असाधारण कार्यों का कर्ता, र्इश्वर को समझा जा सकता है। इस दृष्टि से इन कामो का होना र्इश्वर की विशेष अनुमति पर निर्भर होता है और उसे फरिश्तों या पैगम्बरों के काम कहा जा सकता है क्योंकि वे इस असाधारण र्इश्वरी कार्य के होने का साधन होते है जैसा कि कुरआन मजीद मे मरे हुए लोगों को जीवित करने, रोगियो को स्वस्थ करने और पंछी बनाने जैसे कार्यों को हज़रत र्इसा अलैहिस्सलाम के कार्य कहा गया है जब कि वास्तव मे वह सब र्इशवर की विशेष अनुमति से होने वाले कार्य थे किंतु इस के बावजूद हज़रत र्इसा अलैहिस्सलाम के कर्ता होने और र्इश्वर के कर्ता होने मे कोर्इ टकराव नही है क्योकि र्इश्वर मनुष्य से ऊपर रह कर काम करता है।


पैगम्बरो के मोजिज़ों की विशेषताएं

तीसरा विषय कि जिस की ओऱ मोजिज़े की परिभाषा में संकेत किया गया यह है कि र्इश्वरीय दूतो के मोजिज़े, उनकी बातों का सही होने का प्रमाण होते है और इस दृष्टि से जब किसी असाधारण कार्य को उस की विशेष परिभाषा के साथ मोजिज़ा कहा जाता है तो वह र्इश्वर कि विशेष अनुमति के अर्थ के ही साथ पैगम्बरो की सत्यता का प्रमाण भी होता है और थोडे से अधिक व्यापक अर्थ को अगर ध्यान में रखा जाए तो वह उन असाधारण कार्यों को भी कहा जा सकता है जो इमामो की इमामत की सत्यता का प्रमाण हो सकते हैं। तो इस प्रकार से करामत मोजिज़े के अलावा उन असाधारण कार्यो को कहा जाता है कि जो र्इश्वर के अन्य विशेष दास करते हैं और यह उन असाधारण कार्यो के मुक़ाबले मे होता है जो शैतानी और दुष्ट प्रवृत्ति के लोगो द्वारा किया जाता है कि जैसे जादू टोना आदि।


इस प्रकार के कार्य सीखे और सिखाएं जा सकते है औऱ इस के साथ ही अपने से अधिक शक्तिशाली शक्ति के प्रभाव मे भी आ जाते है और इस प्रकार के कार्यो के र्इश्वरीय न होने को कार्यों के करने वालों के भ्रष्टाचार व गलत आचरण से भी समझा जा सकता है।


यहाँ पर इस बात पर ध्यान देना आवश्यक है कि पैगम्बरों के मोजिज़ो से सीधे रूप से जो बात सिध्द होती है वह उनकी सत्यता है किंतु उनके संदेश की सत्यता औऱ उसका अनुसरण आवश्यक होना परोक्ष रूप से सिध्द होता है। दूसरे शब्दो मे पैगम्बरो की पैगम्बरी बौध्दिक तर्क और उन के संदेश की विश्वस्नीयता कुरआन और इमामो के कथनो से सिध्द होती हैं।

Comments powered by CComment