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मंगल, अप्रै

उलूमे क़ुरआन की परिभाषा

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वह सब उलूम जो क़ुरआन को समझने के लिए प्रस्तावना के रूप में प्रयोग किये जाते हैं उनको उलूमे क़ुरआन कहा जाता है। दूसरे शब्दों में उलूमे क़ुरआन उलूम का एक ऐसा समूह है जिसका ज्ञान हर मुफ़स्सिर और मुहक़्क़िक़ के लिए अनिवार्य है। वैसे तो उलूमे क़ुरआन स्वयं एक ज्ञान है जिसके लिए शिया व सुन्नी सम्प्रदायों में बहुत सी किताबें मौजूद हैं।

उलूमे क़रआन कोई एक इल्म नही है बल्कि कई उलूम का एक समूह है। और यह ऐसे उलूम हैं जिनका आपस में एक दूसरे के साथ कोई विशेष सम्बन्ध भी नही है। बल्कि प्रत्येक इल्म अलग अलग है।

उलूमे क़ुरआन कुछ ऐसे उप विषयों पर आधारित है जिनका जानना बहुत ज़रूरी है और इनमे से मुख्य उप विषय इस प्रकार हैं।

(1)उलूमे क़ुरआन का इतिहास (2) क़ुरआन के नाम और क़ुरआन की विषेशताऐं (3) क़ुरआन का अर्बी भाषा में होना (4) वही की वास्तविकता और वही के प्रकार (5)क़ुरआन का उतरना (6) क़ुरआन का एकत्रित होना (7) क़ुरआन की विभिन्न क़िराअत (8) क़ुरआन की तहरीफ़= फेर बदल (9) क़ुरआन का दअवा (10) क़ुरआन का मोअजज़ा (11) नासिख व मनसूख (12)मोहकम व मुतशाबेह।

इन में से कुछ उप विषय ज्ञानियो व चिंतकों की दृष्टि में आधार भूत हैं इसी लिए कुछ उप विषयों को आधार बना कर इन पर अलग से किताबे लिखी गई हैं। जैसे उस्ताद शहीद मुतह्हरी ने वही और नबूवत पर एक विस्तृत किताब लिखी है।

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