मैराज

नबी अकरम (स.अ.व.व)
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किताबे मुन्तहल आमाल मे बयान किया गया है कि आयाते क़ुराने करीम और अहादीसे मुतावातिरा से साबित होता है कि परवरदिगारे आलम ने रसुले अकरम स.अ.व.व. को मक्का ए मोअज़्ज़मा से मस्जिदे अक़सा और वहा से आसमानो और सिदरतुल मुन्तहा व अर्शे आला की सैर कराई और आसमानो की अजीबो ग़रीब मख़्लुक़ात रसुले अकरम स.अ.व.व. को दिखाई और पोशीदा राज़ो और न तमाम होने वाले मआरिफ आपको अता किये।

 

रसूले अकरम स.अ.व.व. ने बैते मामूर मे खुदा वंदे आलम की इबादत की और तमाम अंबिया से मुलाक़ात की और जन्नत मे दाखिल हुऐ और अहले बहीश्त की मंज़िलो को देखा।

 

शिया और सुन्नी दोनो की अहादीसे मुतावातिरा मे आया है की रसूले अकरम स.अ.व.व. की मैराज जिस्मानी थी न कि रुहानी।

 

किताबे चौदह सितारे मे नजमुल हसन कर्रारवी साहब ने तफसीरे क़ुम्मी के हवाले से नक़ल किया कि बैसत के बारहवे साल मे सत्ताइस रजब को खुदा वंदे आलम ने जिबरईल को भेज कर बुर्राक़ के ज़रीऐ रसूले अकरम स.अ.व.व. को क़ाबा क़ौसेन की मंज़िल पर बुलाया और वहा इमाम अली (अ.स.) की खिलाफतो इमामत के बारे मे हिदायते दीं।

 

उसुले काफी मे इमाम सादिक़ (अ.स.) से रिवायत है कि जो शख्स भी चार चीज़ो का इंकार करे वो हमारे शियो मे से नही हैः

 

  1. मैराजे रसूले अकरम स.अ.व.व.
  2. खिलक़ते जन्नतो जहन्नम
  3. क़र्ब मे होने वाले सवाल जवाब
  4. शिफाअत

           

                                                                                          

और इसके बाद इमाम रज़ा (अ.स.) से रिवायत है कि जो भी मैराजे रसूले अकरम स.अ.व.व.

को झूठ मानता है उसने रसूले अकरम स.अ.व.व. को झूठा माना है।

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