जो शख्स शहे दी का अज़ादार नही है

शायरी
Typography
  • Smaller Small Medium Big Bigger
  • Default Helvetica Segoe Georgia Times

जो शख्स शहे दी का अज़ादार नही है

वो जन्नतो कौसर का भी हक़दार नही है।


जिसने न किया खाके शिफा पर कभी सजदा

सच पूछीये वो दीं का वफादार नही है।


ये जश्ने विला शाहे शहीदां से है मनसूब

एक लम्हा किसी का यहा बेकार नही है।


जो खर्च न करता हो अज़ाऐ शहे दी मे

वो शाहे शहीदां का तरफदार नही है।


आशूर की शब क़िस्मते हुर ने कहा हुर से

अब जाग के शब्बीर सा सरदार नही है।


इज़्ज़त से जियो और मरो शह ने कहा है

ज़िल्लत को जो अपनाऐ वो खुद्दार नही है।


बिदअत जो अज़ाए शहे वाला को बताऐ

सब कुछ है मगर साहिबे किरदार नही है।


हक़ मिदहते मौला का भला कैसे अदा हो

हर शख्स यहाँ मीसमे तम्मार नही है।

 

Comments powered by CComment