हाँ तहज्जुद के क़ुनुतो का समर आया है।
मेरे मौला की दुआओ का असर आया है।
भाई ज़ैनब को मिला और अली को बेटा
बदले मोहसिन के नया लख्ते जिगर आया है।
चार शाबान को रोशन हुई दुनिया सारी
खानदाने बनी हाशिम का क़मर आया है।
छब्बीस हिजरी नूर से यूँ है चमक उठी
भाई हसनैन का ज़हरा का पिसर आया है।
जिसकी इज़्ज़त पा करे रश्क़ सभी ही शोहदा
ग़ाज़ी अब्बास, शहे शम्सो क़मर आया है।
तुम भी मीसम करो हासिल जिना मिसरे कह कर
नाज़ ज़ैनब का, वफाओ का शहर आया है।
Comments powered by CComment