इमामज़ादे शाह अब्दुल अज़ीम हसनी

इतिहासिक शख्सीयते
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आपका नाम

आपका नाम अब्दुल अज़ीम था।

 

कुन्नीयत (उपनाम)

आपकी कुन्नीयत अबुलक़ासिम और अबुलफतह थी ।

 

पिता

शाह अब्दुल अज़ीम हसनी के पिता अब्दुल्ला इब्ने अली इब्ने हसन बिन ज़ैद बिन इमाम हसन (अ.स.) थे यानी आप इमामे हसन (अ.स.) की चौथी नस्ल मे थे।

 

जन्म स्थान व जन्मदिवस

आप चार रबीउस् सानी सन् 173 हिजरी को मदीने मे अपने दादा इमाम हसन (अ.स.) के घर मे इस दुनिया मे तशरीफ लाऐ।

 

जनाबे अब्दुल अज़ीम और इमाम

हजरत शाह अब्दुल अज़ीम ने इमाम काज़िम (अ.स.) से लेकर इमाम हसन असकरी (अ.स.) तक पाँच इमामो के जमाने को देखा और इन मे से इमाम मौहम्मद तक़ी और इमाम अली नक़ी की ज़ियारत भी की और उन दोनो इमामो से हदीसे भी नक़्ल की।

 

अज़मते इल्मी

हजरत शाह अब्दुल अज़ीम की इल्मी अज़मत को बयान करने के लिऐ इतना काफी है कि हम जान लें कि एक मरतबा इमाम अली नक़ी (अ.स.) ने अपने एक सहाबी से फरमाया थाः जब भी तुम्हारे शहर मे दीनी कामो के बारे मे मुश्किल पैदा हो जाऐ तो अब्दुल अज़ीम बिन अब्दुल्लाह हसनी से पूछ लो।

 

रूहानी हैसीयत

हजरत शाह अब्दुल अज़ीम की रूहानी और बुलन्द हैसीयत की निशानी के लिऐ यही कहना काफी होगा कि आपकी क़ब्र की ज़ियारत का सवाब इमाम हुसैन (अ.स.) की क़ब्र की जियारत के सवाब के बराबर है जैसा कि इमाम अली नक़ी (अ.स.) ने शहरे रै के रहने वाले मुहम्मद बिन याहिया अत्तार से फरमाया था कि अगर तुमने अपने शहर मे जनाबे अब्दुल अज़ीम की ज़ियारत की तो ऐसा है कि इमाम हुसैन (अ.स.) की ज़ियारत की।

 

वजहे शहादत

रिवायात मे आपकी शहादत के बारे मे मिलता है कि जनाबे अब्दुल अज़ीम को ज़हरे शदीद दिया गया जिसकी वजह से आप बीमार हो गऐ और उसी बीमारी के सबब आपने शहादत पाई।
 

शहादत

आपकी शहादत 11 शव्वालुल मुकर्रम सन् 252 हिजरी मे हुई।

 

कब्रे मुबारक

हज़रत शाह अब्दुल अज़ीम का मज़ारे मुक़द्दस शहरे रै (तेहरान/ईरान) मे मौजूद है कि जहाँ रोज़ाना हज़ारो चाहने वाले आपकी क़ब्र की जियारत के लिऐ आते है।

आपके जवार मे जनाबे हमज़ा इब्ने इमाम काज़िम (अ.स) और जनाबे ताहिर इब्ने मुहम्मद इब्ने मुहम्मद इब्ने हसन इब्ने हुसैन इब्ने ईसा इब्ने याहिया इब्ने हुसैन इब्ने ज़ैद इब्ने इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स) की कब्रे मौजूद है।

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