- लेखक: सैय्यद इब्ने ताऊस
इमाम हुसैन अ.स. अपनी तलवार के सहारे खड़े हुऐ और बा आवाज़े बुलंद फरमायाः
मै तुम्हे खुदा का वास्ता देकर पूछता हुँ क्या तुम मुझे पहचानते हो।
उन्होने जवाब दियाः आप फरज़ंदे पैग़म्बरे खुदा और उनके नवासे हो।
इमाम ने फिर फरमायाः मै तुम्हे खुदा का वास्ता देकर पूछता हुँ क्या तुम मुझे पहचानते हो। क्या रसूले खुदा मे जद्दे अमजद नही है।
उन्होने जवाब दियाः हाँ खुदा की कसम, आप पैग़म्बरे खुदा के नवासे हो।
फिर हज़रत ने फरमायाः मै फिर खुदा का वास्ता देकर पूछता हूँ कि क्या तुम्हे इल्म नही है कि मेरे वालिद अली इब्ने अबुतालिब है।
उन्होने जवाब दियाः हाँ खुदा का वास्ता, हम जानते है।
फिर हज़रत ने फरमायाः मै फिर खुदा का वास्ता देकर पूछता हूँ कि क्या तुम्हे इल्म नही है कि मेरी वालिदा फातेमा ज़हरा दुख्तरे रसूले खुदा है।
उन्होने जवाब दियाः हाँ खुदा की क़सम, हम जानते है।
फिर हज़रत ने फरमायाः मै फिर खुदा का वास्ता देकर पूछता हूँ कि क्या तुम्हे इल्म नही है कि मेरी जद्दा जनाबे खदीजा बिन्ते खुवैलद है और वो पहली खातून है कि जिन्होने औरतो मे सबसे पहले इस्लाम क़ुबुल किया।
सबने जवाब दियाः हाँ खुदा की क़सम, हम जानते है।
फिर हज़रत ने फरमायाः मै फिर खुदा का वास्ता देकर पूछता हूँ कि क्या हज़रते हमज़ा सैय्यदुश शोहदा मेरे वालिद के चचा नही है।
उन्होने जवाब दियाः हाँ खुदा की क़सम, हम जानते है।
फिर हज़रत ने फरमायाः मै फिर खुदा का वास्ता देकर पूछता हूँ कि क्या जाफरे तैय्यार मेरे चचा नही है।
तो उन्होने जवाब दियाः हाँ खुदा की क़सम, आप सही फरमा रहे है।
फिर हज़रत ने फरमायाः मै फिर खुदा का वास्ता देकर पूछता हूँ कि क्या तुम नही जानते कि जो तलवार मेरे पास है वो रसूले खुदा की है।
उन्होने जवाब दियाः हाँ खुदा की क़सम, हम जानते है।
फिर हज़रत ने फरमायाः मै फिर खुदा का वास्ता देकर पूछता हूँ कि क्या तुम नही जानते कि जो अमामा मेरे सर पर है वो रसूले खुदा का है।
तो उन्होने जवाब दियाः हाँ खुदा की क़सम, हम जानते है।
हज़रत ने फरमायाः मै फिर खुदा का वास्ता देकर पूछता हूँ कि क्या तुम नही जानते कि अली वो पहले शख्स है कि जिन्होने सबसे पहले इस्लाम क़ुबुल किया और जो सब लोगो मे ज़्यादा इल्म रखने वाले और ज़्यादा बुर्दबार थे और हर मुसलमान मर्द और औरत के मौला और अमीर है।
उन्होने जवाब दियाः हाँ खुदा की क़सम, हम जानते है।
तो इमाम ने फरमायाः तो फिर तुम क्यो मेरा खून बहाना हलाल समझ रहे हो। हाँलाकि मेरे वालिद साक़िऐ कौसर है कि जिनके हाथो मे रोज़े क़यामत परचमे इस्लाम होगा।
तो उन्होने जवाब दियाः कि आपने जो कुछ बयान फरमाया ये सब हम जानते है लेकिन जब तक आप भूखे प्यासे जान न देदे हम आपको छोड़ने वाले नही है।
जैसे ही इमाम ने इस खुतबे को तमाम किया तो हज़रत की बेटीयो ने और उनकी बहन जनाबे ज़ैनब ने रोना शूरू कर दिया।
(लहूफ)
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