इमाम ह़ुसैन (स अ) के 18 भाई जो कर्बला में शहीद हुए

शियो का इतिहास
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कर्बला में जिन नेक और अच्छे इंसानों ने सह़ी और कामयाब रास्ते को अपनाया और अपने ज़माने के इमाम के नेतृत्व में बुरे लोगों के मुक़ाबले, अपनी ख़ुशी के साथ जंग की और शहीद हुए उनमें से कुछ वीर ह़ज़रत अली (अ.स) के बेटे भी थे जो अमीरूल मोमिनीन अ. की तरफ़ से इमाम ह़ुसैन अलैहिस्सलाम के भाई थे, इतिहास की किताबों में उनकी संख्या 18 बताई गई है।1) हज़रत उम्मुल बनीन की संतानेंहज़रत उम्मुल बनीन की कोख से जन्म लेने वाले अमीरूल मोमिनीन हज़रत अली अ. के चार बेटे करबला में शहीद हुए हैं।1. अब्दुल्लाह इब्ने अली अ.इतिहास में उन्हें अब्दुल्लाह अकबर के नाम से याद किया गया है और अबू मुहम्मद के नाम से मशहूर थे आपकी मां का नाम उम्मुल बनीन था। आप हज़रत अब्बास अ. से से छोटे लेकिन अपने दूसरे भाइयों में सबसे बड़े थे आपकी करबला में शहादत निश्चित है और सभी इतिहासकारों ने आपका नाम बयान किया है।2. जाफ़र इब्ने अली अ.कुछ इतिहासकारों ने अबू जाफ़र अकबर के नाम से आपको याद किया है और आपकि उपाधि अबू अब्दिल्लाह बयान की है, चूंकि अमीरूल मोमेनीन अ. अपने भाई जाफ़र इब्ने अबी तालिब से बहुत ज़्यादा मुहब्बत करते थे इसलिए आपने उनके नाम पर अपने बेटे का नाम जाफ़र रखा।3. उस्मान इब्ने अली अ.कुछ लोगों ने आपका नाम उस्मान अकबर बयान किया है, अमीरूल मोमिनीन हज़रत अली अ. ने फ़रमाया मैंने अपने बेटे का नाम उस्मान, अपने भाई उस्मान इब्ने मज़नून के नाम पर रखा है (तीसरे ख़लीफ़ा के नाम पर नहीं जैसा के कुछ अहले सुन्नत उल्मा कहते हैं कि तीसरे ख़लीफ़ा के नाम पर आपने अपने बेटे का नाम रखा।)4. अब्बास इब्ने अली अ.हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने जनाब फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा की शहादत के दस साल बाद जनाबे उम्मुलबनीन अ. से शादी की। हज़रत अली अलैहिस्सलाम और फ़ातिमा बिन्ते हेज़ाम के यहाँ चार बेटे पैदा हुए, अब्बास, औन, जाफ़र और उस्मान कि जिनमें सबसे बड़े हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम थे। यही कारण है कि उनकी मां को उम्मुल बनीन यानी बेटों की माँ कहा जाता है।जब जनाबे अब्बास अलैहिस्सलाम का जन्म हुआ तो हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने कानों में अज़ान और इक़ामत कही। आप जनाब अब्बास अलैहिस्सलाम के हाथों को चूमा करते थे और रोया करते थे, एक दिन जनाब उम्मुल बनीन ने इसका कारण पूछा तो इमाम अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया यह हाथ हुसैन की मदद में काट दिये जाएंगे।हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम कर्बला की ओर हरकत करने वाले इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के कारवान के सेनापति थे। इमाम हुसैन अ. ने कर्बला के मैदान में धैर्य, बहादुरी और वफादारी के वह जौहर दिखाए कि इतिहास में जिसकी मिसाल नहीं मिलती।अब्बास अमदार ने अमवियों की पेशकश ठुकरा कर मानव इतिहास को वफ़ादारी का पाठ दिया। आशूर के दिन कर्बला के तपते रेगिस्तान में जब अब्बास अ. से बच्चों के सूखे होठों और नम आँखों को न देखा गया तो सूखी हुई मश्क को उठाया और इमामअ.  से अनुमति लेकर अपने जीवन का सबसे बड़ा इम्तेहान दिया। दुश्मन की सेना को चीरते हुये घाट पर कब्जा किया और मश्क को पानी से भरा लेकिन खुद एक बूंद भी पानी नहीं पिया। इसलिए कि अब्बास अ. की निगाह में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और आपके साथियों के भूखे प्यासे बच्चों की तस्वीर थी।दुश्मन को पता था कि जब तक अब्बास के हाथ सलामत हैं कोई उनका रास्ता नहीं रोक सकता। यही वजह थी कि हज़रत अब्बास के हाथों को निशाना बनाया गया। मश्क की रक्षा में जब अब्बास अलमदार के हाथ अलग हो गए और दुश्मन ने पीछे से हमला किया तो हज़रत अब्बास अ. से घोड़े पर संभला नहीं गया और जमीन पर गिर गये। इमाम हुसैन अ. ने खुद को अपने भाई के पास पहुंचाया।2) अमीरूल मोमिनीन अ. की दूसरी बीवियों की संतानें जो कर्बला में शहीद हुईं 5. मुह़म्मद इब्ने अलीआप मुह़म्मद असग़र के नाम से मशहूर हैं1. आपकी मां के बारे में कि वह कनीज़ थीं या आज़ाद सह़ी मालूमात नहीं मिलती हैं। कलबी, इब्ने सअद, तबरी व शेख़े तूसी ने आपकी मां को कनीज़ बयान किया है। जबकि नाम बयान नहीं किया है।2. जबकि बलाज़री ने आपके कनीज़ होने के बयान के साथ साथ आपका नाम वरह़ा बयान किया है।3. दूसरी किताबों में आपको आज़ाद बताया गया है याक़ूबी ने आपका नाम अमामा बिन्ते अबिल आस बयान किया है।4. हालांकि कुछ लोगों ने आपके कर्बला में होने के बारे में कुछ नहीं लिखा है या शक किया है। लेकिन बहुत सी मोतबर व विश्वस्नीय किताबों नें आपको कर्बला के शहीदों में गिना है। इसी वजह से आपके नाम को अहले सुन्नत और शिया दोनों ने शहीदों में गिना है।5. जबकि इब्ने शहर आशूब अ. ने आपके कर्बला में मौजूद होने की तो ख़बर दी है लेकिन बीमारी की वजह से शहादत से इन्कार किया6. अबूबक्र इब्ने अली (अ.स)आपके नाम के सिलसिले में मतभेद पाया जाता है कुछ ने अबदुल्लाह कुछ ने उबैदुल्लाह और कुछ ने मुह़म्मद असग़र जाना है। मशहूर कथन यह है कि आपकी मां का नाम लैला बिन्ते मसऊद नहली था। जबकि कुछ ने आपकी मां का नाम उम्मुल बनीन बिन्ते ह़िज़ाम कलबी बयान किया है। बहुत सी किताबों में आपको कर्बला के शहीदों में गिना गया है। जबकि कुछ लोग जैसेः तबरी,अबुलफ़ज्र, व इब्ने शहेर आशूब ने आपकी शहादत के सिलसिले में शक किया है शैख़े मुफ़ीद अलैहिर्रह़मा ने आपके नाम को कर्बला के शहीदों में बयान किया है। लेकिन जब ह़ज़रत अली (अ.स) के बेटों की गिनती की है तो अबूबक्र को मुह़म्मद असग़र के उपनाम से याद किया है।7. इब्राहीम इब्ने अली (अ.स) इब्ने क़तीबा, इब्ने अब्दुर रब्बे और दूसरी में इब्राहीम की कर्बला में मौजूदगी और शहादत की ख़बर दी गई है जबकि अबुलफ़रज ने अपनी किताब अनसाब में आपका नाम बयान नहीं किया है। जबकि मुह़म्मद इब्ने अली इब्ने ह़मज़ा के हवाले से बयान किया है कि इब्राहीम “ तफ़” के दिन शहीद हुए। उसने और दूसरों ने आपकी मां को कनीज़ जाना है।8. उमर इब्ने अली (अ.स) कुछ ने आपके नाम को उमरे अकबर और उपनाम अबुल क़ासिम या अबु ह़फ़्स बयान किया है। आपकी मां के संदर्भ में भी मतभेद हुआ है इब्ने सअद और याक़ूबी ने आपकी मां का नाम उम्मे ह़बीब बिन्ते रबीअ तग़लबी जाना है और बयान किया है कि आपको ख़ालिद इब्ने वलीद ने ऐनुत्तम्र में गिरफ़्तार करके मदीना लाया लेकिन उनसे कब ह़ज़रत अली (अ.स) ने शादी की उसका उल्लेख नहीं हुआ है। कुछ दूसरों ने आपकी मां का नाम लैला बिन्ते मसऊद दारमी जाना है। बलाज़री ने लिखा है कि उमर इब्ने ख़त्ताब ने अपने नाम पर उनका नाम रखा, फ़ख़रे राज़ी ने उमर को ह़ज़रत अली (अ.स) के सबसे छोटे बेटे के तौर पर बयान किया है आपके कर्बला में मौजूद होने के बारे में लेखकों में मतभेद पाया जाता है,ख़्वारज़मी, इब्ने शहरे आशूब, मामेक़ानी और दूसरों ने आपको कर्बला के शहीदों में गिना है।3) वह शहीद जिनका सम्बंध ह़ज़रत इमाम अली (अ.स) से हैं।9. उबैदुल्लाह इब्ने अली (अ स) तबरी ने आपकी मां का नाम लैला बिन्ते मसऊद नहली उल्लेख किया है और लिखा है हेशाम इब्ने मुह़म्मद के गुमान से आप तफ़ में शहीद हुए। (1) अबुलफ़रज ने भी अबुबक्र इब्ने उबैदुल्लाह तलह़ी से रिवायत की है कि वह कर्बला में शहीद हुए लेकिन ख़ुद इस कथन को नहीं माना है। वह और कुछ दूसरे इतिहासकार इस बात को मानते हैं कि मुख़तार के साथियों ने उबैदुल्लाह को मज़ार के दिन क़त्ल कर दिया था। (2) मशहूर नज़रिये में आपकी माँ का नाम लैला बिन्ते मसऊद नहली बयान हुआ है। (3) लेकिन ख़लीफ़ा ने आपकी मां का नाम रुबाब बिन्ते उमरुलक़ैस कलबी लिखा है । (4) (1) अश्शजरूल मुबारका पेज 189 (2) मक़तलुल ह़ुसैन जिल्द 2 पेज 28 (3) तारीख़े तबरी जिल्द 5, पेज 154 (4) अत्तबक़ातुल कुबरा जिल्द 5, पेज 88।10. अब्बास असग़र (अ स) इब्ने ह़ेज़ाम और उमरी ने आपकी मां का नामः सहबा तग़लबी जबकि ख़लीफ़ा ने लुबाबा बिन्ते उबैदुल्लाह इब्ने अब्बास जाना है (5) कुछ दूसरी किताबों में बयान हुआ है कि आप शबे आशूरा (9 मुहर्रम की रात) पानी लेने गये और फ़ुरात के किनारे शहीद हुए। (6)।(5) अत्तबक़ातुल कुबरा जिल्द 5, पेज 88 (6) तारीख़े ख़लीफ़ा पेज 145।11, मुह़म्मद औसत इब्ने अली (अ.स) मशहूर कथन में आपकी मां का नाम अमामा बिनते अबिल आस उल्लेख हुआ है। और यह बयान हुआ है कि ह़ज़रत अली (अ स) ने जनाब फ़ातेमा (स...) (7) की वसीयत की वजह से उनसे शादी की (8) अकसर किताबों में आपको कर्बला के शहीदों में गिना नहीं किया गया है लेकिन कुछ ने यह लिखा कि आप आशूर के दिन कर्बला में इमाम ह़ुसैन (अ.स) के साथ थे और आप (अ.स) की इजाज़त से जंग की और बहुत से दुश्मनों को मारने के बाद इब्ने ज़ेयाद के लश्कर के हाथों शहीद हुए। (9)(7) तारीख़े ख़लीफ़ा पेज 145 (8) इत्तेआज़ुल ह़ुनफ़ा पेज 7 (9) वसीलहुद्दारैन पेज 262।12. औन इब्ने अली (अ.स) आपकी माँ असमा बिनते उमैस ख़शअमी हैं और बहुत से इतिहासकारों ने आपको ह़ज़रत अली (अ.स) का बेटा जाना है। (10) अकसर किताबों ने आपकी कर्बला में मौजूदगी पर चुप्पी साध ली है उसके बावजूद कुछ ने आपको कर्बला के शहीदों में गिना गया है। और इस बात का ज़िक्र किया है कि वह इमाम ह़ुसैन (अ.स) के साथ मदीने से कर्बला आये थे।(10) अत्तबक़ातुल कुबरा जिल्द3, पेज 14।13. अतीक़ इब्ने अली (अ स)आपकी माँ का नाम मालूम नहीं है, कुछ ने आपकी माँ का नाम कनीज़ जाना है (11) कुछ लोग जैसेः इब्ने एमादे ह़म्बली, दयार बकरी, ज़हबी और मुज़फ्फर ने आपकी शहादत को माना है।(12) जबकि पुरानी किताबों में आपका नाम शोहदा में बयान नहीं हुआ है।(11) तनक़ीहुल मक़ाल जिल्द 3 पेज 83 (12) अत्तबक़ातुल कुबरा जिल्द 3, पेज 514।14. जाफ़रुल असग़र (अ.स) हालांकि आपकी शाहादत पर कोई दलील मौजूद नहीं है उसके बावजूद मुज़फ़्फ़र ने अनुमान के आधार पर आपको कर्बला के शहीदों में गिना है क्योंकि उनका विश्वास यह है कि ह़ज़रत अली (अ स) की जो संतानें कर्बला में नहीं थीं उनका ज़िक्र मिलता है जैसा कि जनाब मोह़सिन की शहादत और जनाब मुह़म्मद इब्ने ह़नफ़िया का मदीने में रुकना (13) जबकि यह साबित है कि ह़ज़रत अली (अ स) के एक बेटे का नाम जाफ़रुल असग़र था। (14)(13) ज़ख़ीरतुद्दारैन पेज 166 (14) अलइमामा वस्सियासा जिल्द2, पेज 6।15, अबदुर्रह़मानकुछ लेखकों ने इस तर्क के आधार पर आपको भी कर्बला के शहीदों में गिना है (15) कहा गया है कि आपकी माँ भी कनीज़ थीं उससे ज़्यादा मालूमात आपके बारे में नहीं मिलती हैं।(15) बतलुल अलक़मी जिल्द 3, पेज 530।16, अबदुल्लाहिल असग़र आपका नाम भी शहीदों की लिस्ट में कुछ पुरानी किताबों में आया है। आयानुश्शिया और दूसरी किताबों में भी आपका उल्लेख मिलता है। कि आप इमाम ह़सन (अ स) के बेटों के शहीद होने के बाद मैदाने कर्बला गये और ज़जर इब्ने क़ैस के हाथ शहीद हुए। (16) मनाक़िब जिल्द 4, पेज 122।17, क़ासिम इब्ने अली (अ स) इब्ने शहेर आशूब ने आपको कर्बला के शहीदों में जाना है।18. यहया इब्ने अली (अ.)आपकी मां का नाम असमाँ बयान हुआ है जोउमैस की बेटी थीं, कुछ किताबों में कर्बला में आपकी शहादत की ख़बर दी गई है और कहा गया है कि उमैर इब्ने हज्जाज कंदी आपका सर उठाने वाला था।

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