मसला न. 1259.
सज्दा ए सहव की तरीक़ा यह है कि सलामे नमाज़ के बाद इंसान फ़ौरन सज्दा ए सहव की नीयत करे एहतियाते लाज़िम की बिना पर पेशानी किसी ऐसी चीज़ पर रख दे जिस पर सज्दा करना सहीह हो और एहतियात मुस्तहब यह है कि सज्दा ए सहव में ज़िक्र पढ़े और बेहतर है कि कहेः बिस्मिल्लाहे व बिल्लाहे अस्सलामो अलैका अय्युहन्नबीयो व रहमतुल्लाहे व बरकातुहू इसके बाद उसे चाहिये कि बैठ जाए और दोबारा सज्दे में जाए और मज़कूरा ज़िक्र पढ़े और बैठ जाए और तशह्हुद के बाद कहे अस्सलामो अलैकुम और औला यह है कि व रहमतुल्लाहे व बरकातुहू का इज़ाफ़ा करे।
(तौज़ीहुल मसाइल)
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